क्या सच में युवा लड़कियों के साथ सोते थे गांधी?
महात्मा गांधी के विषय में यह कथित विवाद एक ऐसा पहलू है, जिसे लेकर कई दशकों से बहस होतीरही है। कुछ ऐतिहासिक दस्तावेजों, पत्रों और किताबों में यह दावा किया गया है कि गांधी जी अपने ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचर्य व्रत के दौरान) के प्रयोग के तहत युवती महिलाओं के साथ नग्न होकर सोते थे। वे इसका प्रयोग खुद को परखने और यह सिद्ध करने के लिए करते थे कि कामवासना पर वे पूर्ण नियंत्रण रखते हैं और उनके मन में कोई अश्लील भावना नहीं होती।
महात्मा गांधी के ब्रह्मचर्य प्रयोग का विवादित पहलू
महात्मा गांधी ने अपने जीवन में 1906 में ब्रह्मचर्य व्रत लिया था और इसके बाद अपने जीवन को संयमित बनाने के लिए कई अनोखे और विवादित प्रयोग किए। वह मानते थे कि जो पुरुष महिलाओं के साथ नग्न रहकर भी कामवासना से दूर रह सकता है, वही सच्चा ब्रह्मचारी है। इसलिए उन्होंने कई युवती महिलाओं को अपने साथ सोने के लिए कहा, बिना किसी कामवासना के। गांधी जी ने यह प्रयोग खुद को और अपने अनुयायियों को साबित करने के लिए किया।
इसके तहत वे कई बार अपनी पोतियां, सहयोगी लड़कियों को अपने बगल में सोने का निर्देश देते थे। उनकी बहू आभा गांधी ने खुद भी बताया कि उन्हें 16 वर्ष की आयु में गांधी जी के साथ सोने को कहा गया था। गांधी जी ने अपने विरोधियों और मॉरल क्रिटिक्स को यह जवाब दिया कि उनके मन में कोई अश्लील इच्छा नहीं होती, और उनका यह प्रयोग ब्रह्मचर्य के प्रति उनकी दृढ़ता को दिखाता है।
अश्लीलता और नैतिक विवाद
यह प्रयोग उस समय भी और आज भी भारी विवादों में घिरा हुआ है क्योंकि किसी भी पिता या संरक्षक द्वारा नाबालिग या युवा लड़कियों के साथ नग्न सोना सामाजिक, नैतिक और कानूनी रूप से प्रश्नवाचक माना जाता है। गांधी का तर्क था कि ये लड़कियां उनकी दत्तक बेटियां हैं, लेकिन आलोचक कहते हैं कि कोई पिता भी अपनी बेटियों के साथ नग्न होकर नहीं सोता।
महात्मा गांधी की द्वंद्वात्मक मानसिकता का यह पहलू उनके व्यक्तित्व के गूढ़ और जटिल पक्षों में से एक माना जाता है। अपने जीवन में उन्होंने कई बार यौन इच्छाओं का अनुभव किया और विश्वास किया कि संयम ही धर्म है। लेकिन उनके इस प्रयोग से जुड़े कई सवाल आज भी अनुत्तरित हैं।
ऐतिहासिक संदर्भ और लेखन
गांधी की अपनी आत्मकथा 'द स्टोरी ऑफ माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ' में उन्होंने अपने वैवाहिक जीवन और ब्रह्मचर्य के प्रति अपने दृष्टिकोण का उल्लेख किया है। कई इतिहासकारों और लेखक वेद मेहता, रामचंद्र गुहा ने भी इस विषय पर शोध और आलोचना की है। कई किताबों और पत्रों में युवतियों के साथ उनके विवादित संबंधों का उल्लेख मिलता है।
1920 के दशक में वे महिलाओं के साथ सामूहिक स्नान भी करते थे और मालिश कराते थे, जो उस समय की प्रथाओं में भी विवादित था। आश्रम में रहने वाली कई महिलाओं ने बाद में इस विषय पर बयान दिए।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी का यह ब्रह्मचर्य प्रयोग एक ऐसा विषय है, जो उनके धड़ल्ले से भरे व्यक्तित्व, उनके आध्यात्मिक लक्ष्य और उनके चरित्र की जटिलताओं को दर्शाता है। यह सत्य है कि उन्होंने युवती महिलाओं के साथ नग्न होकर सोना और सामूहिक स्नान जैसे प्रयोग किए, लेकिन उनका उद्देश्य कामवासना पर विजय पाना था, न कि कोई अश्लील संबंध।
फिर भी, यह विषय सामाजिक, नैतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से विवादित और कई बार आलोचना का पात्र रहा है। गांधी जी के अनुयायियों के लिए यह विषय चुनौतीपूर्ण है और आलोचकों के लिए सवाल पैदा करता है। इसलिए इसे समझने के लिए ऐतिहासिक साक्ष्यों, उनके व्यावहारिक अनुभवों और समाज के उस युग की मानसिकता को ध्यान में रखना आवश्यक है।
इस विषय पर खुलकर चर्चा करना आवश्यक है ताकि इतिहास का वह पक्ष भी समझा जा सके, जिसे अक्सर छिपाया या नजरअंदाज किया जाता रहा है। गांधी जी के जीवन की इस विचित्र और जटिल परत को समझना ही हमारे लिए एक सच्चे और समग्र दृष्टिकोण की ओर पहला कदम हो सकता है।